Dhaniya ki kheti kaise kren: धनिया की खेती कैसे करें , जाने धनिया की खेती से कितना है लाभ?

Dhaniya ki kheti kaise kren: धनिया की खेती कैसे करें , जाने धनिया की खेती से कितना है लाभ?

Dhaniya ki kheti kaise kren: धनिया की खेती कौन नहीं करना चाहता है हर कोई अपने घरों में थोड़ी सी जगह जैसे गमला पार्क इत्यादि में वो देता है क्योंकि धन्य बहुत ही फेमस मसाला के रूप में जाना जाता है। धनिया के पौधा से जो बीज प्राप्त होती है और पति से दोनों को ही काफी उपयोग में लाया जाता है। धनिया का पति का इस्तेमाल पके हुए सब्जियों में डालकर खाने को स्वादिष्ट बनाने और धनिया की चटनी बनाने में काफी इस्तेमाल किया जा रहा है और इसके बीच एवं पति दोनों का ही उपयोग में खाना बनाने वाले लोग करते हैं। धनिया के बीच में वास्तुशिल तेल का उत्पादन होती है जो खाना को काफी स्वादिष्ट बना देती है धनिया के बीच का उपयोग शराब कैंडी तेल सुख को बनाने में की जा रही है और आप सभी लोगों को बता दें की सील बंद भोज पदार्थ में खुशबू उत्पन्न करने के लिए धनिया का प्रयोग किया जाता है और इसके साथ इसका इस्तेमाल साबुन और खुशबूदार द्रव्य बनाने में भी किया जाता है।

Dhaniya ki kheti kaise kren: आप सभी लोगों को बता दे कि भारत में कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां धनिया का उत्पादन किया जाता है जैसे महाराष्ट्र उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान इसके राज्यों में किया जाता है। इसके अंदर अनेक प्रकार के उपयोगिता तत्व जैसे कैल्शियम आयरन विटामिन ए विटामिन सी फाइबर कैरोटीन और कॉपर भी उत्पादन के रूप में पाया जाता है और आसान लोगों को बता दें कि धनिया के दो बीज को रोज चबाकर खाने से शुगर की बीमारी भी काम हो जाती है यदि आप सभी लोग धनिया की खेती करना चाहते हैं तो आपको इस लेख में Dhaniya ki kheti kaise kren और धना की खेती से क्या लाभ होगा इसके बारे में संपूर्ण जानकारी नीचे बताई गई है।

Dhaniya ki kheti kaise kren

Dhaniya ki kheti kaise kren, इसके लिए उपयुक्त मिट्टी, जलवायु और तापमान कितना होना चाहिए?

Dhaniya ki kheti kaise kiya jata hai: धनिया की खेती को आप लोग वैसे जगह पर उपजाऊ करना होगा जहां जल निकासी वाले भूमि है और वह भूमि उपजाऊ होना चाहिए तभी आप वहां धनिया खेती कर सकते हैं अर्थात इसकी खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी का काफी बेहतर माना जाता है अधिक पानी वाले स्थान में इसका खेती करने के लिए काली की मिट्टी बहुत ज्यादा आवश्यक है अर्था इसकी खेती में भूमिका पीएच मान 6.5 से 7.5 के मध्य होना बहुत जरूरी है।

धनिया का पौधा शीतोष्ण जलवायु वाला पौधा होता है इसके फसल जो होते हैं शुष्क और ठंड जवाबी में उत्पादन किया जाता है धनिया के पौधों पर बी आने के समय हल्की सर्दी का आवश्यकता पड़ जाती है जिसकी वजह से इसकी बीच खुशबूदार और उसे गुणवत्ता वाले बन जाते हैं परंतु सर्दियों में गिरने वाला पहले इसके फसल को अधिक खाने पहुंचा देती है धनिया के पौधों का अधिकतम तापमान 20 डिग्री सेल्सियस तथा न्यूनतम तापमान 35 डिग्री सेल्सियस तक ही सहन कर सकती है।

Dhaniya ki kheti kaise kren, धनिया की महत्वपूर्ण किस्म

kheti karne ke liye kaise shuruaat karen: उत्तम बीज वाला धनिया– धनिया के इस किम में बीच की गुणवत्ता काफी अच्छी होती है जिसकी वजह से इसका बी काफी सुगंधित तेल की मात्रा में पाई जाती है इस तरह के धनिया को पाने के लिए आप सभी लोगों को RCR 435, RCR 684, और SIMPO S 33 किस्म की तैयार किया गया है।

पती दार वाला धनिया– धनिया के इस किस्म को अर्थात पतियों को उगाने के लिए ही तैयार की जाती है इसमें पौधा में निकलने वाले पति का आकार काफी बड़ा पाया जाता है और इसमें आप लोगों को ACR 1, गुजरात धनिया 2 और आईसीआर 728 यदि किम भी शामिल किया गया है।

पति और बी दोनों की मिश्रित धनिया– इस किस्म का बीज और पट्टी दोनों ही काफी तेज गुन वाले पाए जाते हैं जिसमें की यह किम अभी समय में तैयार हो जाती है और इसके पत्तियों की कटाई एवं आरंभ में कराए जाती है। और उसके बाद उन सभी पौधों पर बी आने की प्रारंभ हो जाती है इसमें आपको RCR 446, पंत हरि टीमा, पूसा चयन 360 और जेडी–1, इत्यादि किम शामिल है।

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JD –1 धनिया:– धनिया के इस प्रकार को तैयार होने में लगभग 120 से 1033 का समय लग जाती है और इसके पौधों में निकलने वाले दाने का आकार मध्य और गोल हो जाती है इस प्रकार के संचित और अशिक्षित दोनों ही जगह में धनिया उगाई जाती है जिसमें इस पौधे में उकठा रोग रहित होती है जिसे प्रति हेक्टेयर 14 से 16 क्विंटल की पैदावार प्राप्त किया जा सकता है।

RCR 480– इस प्रकार के धनिया के पौधों को तैयार होने में 120 से 130 दिन का समय लग जाती है और धनिया की इस प्रकार के केवल संचित जगह में ही उगाया जा सकता है जिसमें निकलने वाले पौधे और दोनों का जाकर सामान हुए इसके पौधे में उठता भभूतियां निरोधक और स्टीम गाल रोग नहीं देखने को मिलती है और इस प्रकार के धनिया को बढ़ती हेक्टेयर के हिसाब से 12 से 14 क्विंटल की पैदावार किया जा सकता है।

गुजरात धनिया 2 – धनिया किस प्रकार को तैयार होने में लगभग 110 से 115 दिन का समय लगती है और इसके पौधे में निकलने वाले पट्टी आकार में समान और पौधा शाखों युक्त हो जाती है इसमें निकलने वाले पट्टी हरे रंग की पाई जाती है और यह किस प्रति हेक्टेयर के हिसाब से बात किया जाए तो 15 16 क्विंटल की पैदावार दे सकती है।

Coriander Farming in Hindi का तैयारी एवं उर्वरक

सबसे पहले खेत की अच्छी तरह से गहरी जुताई कर दिया जाता है उसके बाद खेत को ऐसे में ही कुछ दिन के लिए खुला छोड़ दिया जाता है और पहले जुताई के तुरंत बाद में खेत में 8 से 10 गाड़ी पुरानी गोबर खाद को डाल दिया जाता है और उसके बाद एक बार फिर से खेत की जुताई किया जाता है और उसमें खेत की मिट्टी में गोबर की खाद्य क्षेत्र से मिलने की दी जाती है और खाद को मिट्टी में मिलने के बाद पानी लगाकर छिड़काव कर दी जाती है एवं प्लान कर दी जाती है उसके बाद कुछ समय हेतु खेत को ऐसे छोड़ दें और आखिरी जुदाई के समय खेत में जिंक सल्फेट फास्फोरस नाइट्रोजन और पोटाश की मात्रा को 2:2:2:1 के अनुपात में खेत में छिड़क दें।उसके बाद खेत में रोटावेटर लगाकर खेत की दो से तीन तिरछी जुटा करें और उसके बाद मिट्टी भूरी भूरी होती है तो मिट्टी के भरा भरा हो जाने के तुरंत बाद पता लगाकर भूमि को समतल बनाएं।

धनिया के बीजों का रोपाई का सही समय और तरीका

धनिया के बीज की रोपाई बीच के रूप में की जाती है और अधिक नमी वाली भूमि में एक हेक्टेयर के धनिया के 15 से 20 किलो बीच की आवश्यकता हो जाती है तथा कम नमी वाले क्षेत्रों में 25 से 30 क बी की जरूरत पड़ती है। बी की रोपाई से पहले उन्हें कार्बन दाजिम और टायरों की उचित मात्रा मिलाकर बी को उपचारित कर लिया जाता है उसके बाद स्ट्रेटरोमैक्सीन 500 पम की उचित मात्रा मिला दी जाती है और जनित रोगों से बचाया जाता है।

इस धनिया के बीच की रोपाई खेत में तैयार करो में किया जाता है और इस करो को हल के माध्यम से तैयार की जाती है तैयार की गई पत्ती लगभग 30 सेंटीमीटर की दूरी पर रखा जाता है तथा बीजों के मध्य 10 सेंटीमीटर की दूरी अवश्य बनाए रखें बीजों की रोपाई भूमि में 4 सेंटीमीटर गहराई में की जाती है और इसकी रोपाई अक्टूबर से दिसंबर के महीना में किया जाता है।

धनिया की फसल की सिंचाई

यदि धनिया के बीच की रोपाई कामनामी वाली भूमि में किया गया है तो आप लोगों को बता दे कि नहीं रोपाई के तुरंत बाद सिंचाई की आवश्यकता हो जाती है और उसके बाद अतिरिक्त यदि बीजों की रोपाई नमी वाली भूमि में किया गया है तो आवश्यकता के अनुसार ही पानी डालें धनिया के पौधों को अधिकतम 5 से 7 सिंचाई की आवश्यकता पड़ जाती है।

धनिया की फसल में खरपतवार का नियंत्रण

धनिया के पौधों में खरपतवार नियंत्रण की अधिक आवश्यकता पड़ जाती है जिसमें खेत की जुताई के समय ही खरपतवार का नियंत्रण पाने हेतु खरपतवार नाशक का छिड़काव करना चाहिए और उसके तुरंत बाद यदि खेत में फसल के दौरान खरपतवार दिखाई देती है तूने हाथ से उखाड़ कर निराई गुड़ाई करना चाहिए यदि मन अधिक मात्रा में खरपतवार दिखाई देने पर पिंडी मिथिलान स्टांप 30 इसी का या की जो लोग एथिल टार्गा सुपर 5 इसी की मात्रा छिलका कर देना चाहिए।

धनिया की फसल की कटाई और पैदावार से लाभ

धन की फसल किस्म के आधार पर बीज की रोपाई 110 से 130 दिन के बीच कटाई कर ली जाती है उसके पौधों की कटाई के दो तरीके से किया जाता है जिसके लिए अलग-अलग समय निर्धारित की जाती है। यदि आप सभी लोग पौधों की कटाई पट्टी के लिए करना चाहते हैं तो उसके लिए आपके पति को बड़ा होते ही काटना होगा यदि इसके तरीका दिया बी के रूप में फसल प्राप्त करना चाहते हैं तो उसके लिए थोड़ा इंतजार करना होगा और पौधों में पत्ती पीली हो जाती है और गिर जाती है उसके बाद बी पकाना आरंभ हो जाती है उसके दौरान कटाई कर लिया जाता है।

Dhaniya ki kheti Se Kitna Labh Hota Hai: कटाई के बाद उन्हें धूप में अच्छी तरह से सुखाया जाता है पूरी तरह से सुख बी से दांतों को हटाकर भी अलग किया जाता है धनिया का बाजरी भाव ₹60 प्रति किलो हो जाती है और एक-एक शेर में आप लोग खेत में 15 क्विंटल के पैदावार प्राप्त कर सकते हैं जिससे किसान भाई इसकी एक बार की फसल से 50000 की कमाई आसानी से कर सकते हैं।

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