Palak ki kheti kaise kren in Hindi
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Palak ki kheti kaise kren in Hindi: पालक की खेती कैसे होती है ( Spinach Farming in Hindi ) और इस खेती से लाखों करें कमाई

Palak ki kheti kaise kren in Hindi: पालक की खेती कैसे होती है ( Spinach Farming in Hindi ) और इस खेती से लाखों करें कमाई

Palak ki kheti kaise kren in Hindi: आज के युग में पलक एक ऐसा फसल है जिसे सभी लोग काफी पसंद करते हैं और अपने-अपने खेतों में उगाने के लिए सोचते हैं क्योंकि यह सब्जी काफी गुणकारी माना जाता है, इसमें काफी विटामिन इरोंस इत्यादि पाए जाते हैं जिसके वजह से सभी लोग काफी पसंद कर रहे हैं। पालक की खेती का उत्पत्ति सर्वप्रथम ईरान से किया गया और इस खेती को भारत के अनेक राज्यों में शुरू कर दी गई है। पालक की खेती करने से एवं पलक को सभी लोग इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि यह सब्जी शरीर में खून के माता को तेजी से बढ़ा देती है और सम्मानित तौर पर माना जाए तो यह सब्जी अर्थात पलक पूरे वर्ष खाया जाता है और लोग पसंद करते हैं ज्यादातर इसका इस्तेमाल सर्दियों के मौसम में अधिक मात्रा में की जाती है।

पालक की सब्जी के अतिरिक्त सरसों का साग, मक्का का रोटी और पनीर के साथ भी इस्तेमाल किया जाता है। जितने भी किसान हैं सभी किसानों लोग पालक की पट्टी और बीजों को बेचकर पालक की खेती करके लाखों को कमाई कर सकते हैं यदि आप सब लोग पालक की खेती करना चाहते हैं तो आप सभी लोग इस लेख में आपको पूरी विस्तार से बताई गई है कि Palak ki kheti kaise kren in Hindi, पालक की खेती कैसे ( Spinaching Farming in Hindi ) की जाती है।

Palak ki kheti kaise kren in Hindi, पालक की खेती कैसे करें

spinach farming process in hindi: पालक की खेती करने के लिए संपूर्ण जानकारी आपको यहां पर विस्तार से बताई गई है और इसके लिए अर्थात पालक की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी जलवायु और तापमान कितना होना चाहिए इसकी भी जानकारी बताने वाले हैं तो आप सब लोग सबसे पहले बता दे की पलक की खेती करने के लिए सर्दियों के मौसम में काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।

जबकि सर्दियों के मौसम में गिरने वाले पहले और पालक का पौधा बिल्कुल आसान तरीका से सहन करता है और उसे समय अच्छे से विकास भी होती है। यदि आप इस फसल को बोलना चाहते हैं तो इसे बलुई दोमट मिट्टी में बुवाई कर सकते हैं। इसके लिए जल जाम वाली भूमि नहीं होनी चाहिए भूमि का पीएच मान लगभग 6 से 7 के मध्य होना जरूरी है। क्योंकि इसके पौधे सामान्य ताप में ही अच्छा से विकास कर जाती है और पौधों को अंकुरण हेतु 20 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है अधिकतम तापमान 30 डिग्री तथा न्यूनतम तापमान 5 डिग्री को आसानी से आसान कर सकती है।

पालक की उन्नत किस्म ( Spinach Improved Varieties )

Palak ki kheti kaise kren in Hindi

अर्क अनुपम किस्म का पलक:– पालक का यह बी 40 दिन के बाद कटाई देने के लिए तैयार होती है इस बी के किम में पौधे लगे में कम समय लगता है और इसके पत्ते काफी गहरे रंग के और आकार में बड़ी और चौड़ी भी होती है। पालक के इस किस्म को IIHR –10 और IIHR –8 का संकरण करके तैयार की जाती है। इस प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 10 तान के पैदावार प्राप्त की जाती है।

All Green किस्म की पालक:– इस किस्म के पौधों को तैयार होने में लगभग 40 से 35 दिन का समय लग जाती है इसकी पट्टी का रंग हरा और आकर चौड़ा होता है और मुलायम होती है पलक आया कि का भी सर्दियों में बोया जाता है और सर्दी के मौसम में इसे आप लोग 5 से 7 बार कटाई बिल्कुल आसान तरीका से कर सकते हैं।

Pusha Jyoti किस्म पालक:– पूसा ज्योति किस्म का पौधा मात्र 45 दिन के बाद पैदावार देने के लिए तैयार होती है इस पालक की किस्म में पौधे निकलने वाले पट्टी काफी चौड़ी लंबी और गहरे रंग का होता है इसके पौधे तैयार होने में आपको 7 से 10 बार की कटाई कर सकते हैं यह पलक अधिक पैदावार देने का वाला किस्म है और इसके प्रति हेक्टेयर के हिसाब से बात किया जाए तो 45 तन का पैदावार देता है इसे आगेती और पछेती दोनों के उत्पादन के लिए माना जाता है।

Jobner Green किस्म की पालक:- इस किस्म के पलक उगाने के लिए हल्की क्षारीय भूमि का जरूरत पड़ता है। पलक यह किम 40 दिनों में कटाई के लिए तैयार होती है उसके बाद इसके पौधे में निकलने वाले पत्तियां गहरे रंग का आकार में लंबा चौड़ा होता है। यह शंकर किस में प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 30 तन का उत्पादन प्रदान करती है।

इसके अतिरिक्त पलक इकाई शंकर कि किया गया है इसके अलग-अलग स्थान पर देकर कटाई और अधिक पैदावार के लिए उठाया भी जाता है। इसमें ऑस्ट्रेलियन, बनर्जी जॉइंट, वर्जीनिया शिवाय, ls2 F1 शंकर, लोग स्टैंडिंग, लाल पट्टी पलक, अर्ली स्मूथ लीफ, एस एक्स एस संख्या 7, पूसा भारती, पलक नंबर 51–16, हिसार सिलेक्शन 23, हाइब्रिड F1 पंजाब सिलेक्शन पंजाब ग्रीन तथा पूसा हरित जैसी अनेकों कृष्णा मौजूद है।

पलक फसल हेतु खेत की तैयारी

सभी किसान उन्नत किस्म का बीज उगाने के लिए काफी सोचते हैं और यह सोचते हैं खेत किस प्रकार से तैयार किया जाए तो आपके यहां बता दें कि पलक की खेती एवं मच्छी पैदावार प्राप्त करने हेतु खेत मिट्टी का भुरभुरा होना बहुत जरूरी है इसके लिए आप लोगों को शुरुआत में खेत का पहला गहरी जुताई करने पर उसमें पुराने अवशेष को नष्ट करना चाहिए जुताई के तुरंत बाद खेत को कुछ समय के लिए खुला छोड़ दें और उसमें मिट्टी से अच्छी तरह धूप लगने दें क्योंकि पालक की फसल की कटाई को बार-बार कर सकते हैं इसलिए उसके पौधों को अधिक उर्वरक की आवश्यकता है इसके लिए खेत की आवश्यकता जुताई के बाद पर्याप्त मात्रा में उर्वरक देने से के लिए आपको 15 से 17 गाड़ी पुरानी गोबर के बाद प्रति हेक्टेयर के हिसाब से दें।

और उसे खाद को मिट्टी में बहुत अच्छी तरह से मिलने दे और दो से तीन बार तिरछी जुताई करने दें मिट्टी में खाद को मिलने के बाद पानी लगाकर प्ले करें उसके बाद जब खेत की मिट्टी ऊपर से सूख जाती है तो उसे दौरान फिर से खेत की जुताई करें उसके बाद खेत की मिट्टी को भुरभुरा बनाएंपलक खेत को समतल बनाने के लिए भूमि में पता लगाकर समतल बनाएं इससे खेत में जल जमाव के समस्या नहीं होगी और इसके अतीत खेत में आसान तरीका से रासायनिक खाद के रूप में 40 क फास्फोरस 30 क नाइट्रोजन 40 क पोटाश की मात्रा को आखिरी जुताई के समय डालें। इसके पौधा बहुत तेजी से विकास करके कटाई के लिए तैयार होती है।

पालक के बीजों की रोपाई का सही समय

पालक का बीज भारत के सभी क्षेत्रों में पूरे वर्ष में प्रयोग किया जाता है आप सभी लोगों को बता दें कि इसकी रोपाई के लिए सितंबर और नवंबर का महीना काफी महत्वपूर्ण माना जाता है जुलाई के महीना इस दौरान बारिश का मौसम होती है और इसके पौधे आसानी से बाहर चले आते हैं पालक के बीच की रोपाई को काफी अच्छे तरीके से किया जा सकता है पहले रोपाई विधि द्वारा दूसरा छिलका विधि द्वारा और रुपए विधि में पालक के बीज को मेलो पर डाला जाता है जिसमें प्रति हेक्टेयर के हिसाब से बात किया जाए तो 25 किलो बीज की आवश्यकता पड़ती है और वही छिड़काव विधि में प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 35 से 30 किलो के बीच आ सकता होती है।

पालक के पौधों की सिंचाई की विधि

इसके पौधे की वृद्धि हेतु अधिक सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है जिसके वजह से बीजों की रोपाई के लिए भूमि का गीला होना बहुत जरूरी है इसलिए बीजों की रोपाई के तुरंत बाद उन्हें पानी अवश्य दें किंतु छिड़काव विधि में उसके बीजों को सूखी भूमि की आवश्यकता पड़ जाती है। पालक के बीज की सिंचाई का आरंभ लगभग 5 से 7 दिन के अंतराल में करते रहना जरूरी है उसे बीजों का अंकुरण अच्छे से होती है गर्मियों के मौसम इन्हें सप्ताह में दो बार गर्मियों के एवं सर्दियों के मौसम में इन्हें 10 से 12 बार दिन के अंतराल में सिंचाई की आवश्यकता होती है और इसके अतिरिक्त वर्षा ऋतु के समय में जरूरत पड़ने पर ही पानी डालें।

Palak ki kheti kaise kren in Hindi, पालक के पौधों में खरपतवार का नियंत्रण

पालक के पौधों को खरपतवार निरंतर की अधिक आवश्यकता पड़ जाती है खरपतवार के इसके पौधों में कीट रोग लगने का खतरा बढ़ जाता है जिससे इसकी पैदावार अधिक हो जाती है पलक की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए प्राकृतिक या रासायनिक विधि का इस्तेमाल किया जा सकता है रासायनिक विधि द्वारा खरपतवार पर नियंत्रण पाने हेतु पिंडी मैथिली की उचित मात्रा का छिड़काव करके खेत में बी रोपाई के तुरंत बाद करना चाहिए तथा प्राकृतिक विधि के द्वारा खरपतवार पर नियंत्रण हेतु पौधों की निराई गुड़ाई की जाती है पालक के पौधों की पहली गुड़ाई के बीच एवं रोपाई के 15 दिन बाद किया जाना चाहिए उसके बाद समय-समय पर खेत में पेड़ों के बीच खरपतवार दिखाई देने पर उसे बुराई कर रहा दें।

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